Department of Mundari

मुंडारी विभाग का इतिहास

1971 ई में गोस्सनर कॉलेज की स्थापना की गई। उस समय से गोस्सनर कॉलेज में मुंडारी भाषा की पढ़ाई होती है। जिसमें मुंडारी भाषा विभाग में पहला व्याख्याता अंग्रेजी विभाग के प्रो. सुलेमान बडिंग हुए। तत्पश्चात सन 5 नवंबर 1981 ई को डॉक्टर मनसिद्ध बड़ायऊद की मुंडारी भाषा विभाग में व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हुई। डॉक्टर मनसिद्ध बड़ायऊद ने 5 नवंबर 1981 ई से लेकर जुलाई 2018 ई तक मुंडारी विभाग में अपना योगदान दिया।

तत्पश्चात सन 20 नवंबर 2018 ई से मुंडारी भाषा विभाग में अनुबंध के आधार पर प्रो.मीना सुरिन रही, एवं सन 2 नवंबर 2020 ई से मुंडारी भाषा विभाग में व्याख्याता के पद पर प्रो.मीना सुरीन है।

मुंडा जनजाति भारत की एक प्रमुख जनजाति है। मुंडा जनजाति झारखंड की तीसरी सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति है। जो मुख्य रूप से झारखंड में निवास करती है, झारखंड के अलावा ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, असम एवं अंडमान निकोबार आदि राज्यों में भी रहती है। इनकी भाषा मुंडारी एस्ट्रो- एशियाटिक भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है। मुंडा स्वयं को होड़ोको एवं अपनी भाषा को होड़ो जगर कहते हैं।

छोटानागपुर के राजाओं में मुंडा महाराजा मदरा मुंडा यशस्वी राजा हुए थे। उनके साम्राज्य का विस्तार अविभाजित छोटानागपुर अर्थात बंगाल,बिहार, उड़ीसा,मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि के वन प्रदेशों में दूर-दूर तक फैला हुआ था। मदरा मुंडा के दादाजी रिसा मुंडा ने सर्वप्रथम रांची- पतरातु मुख्य पथ पर रांची से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर अपने पुत्र सुतिया मुंडा के नाम पर सूतियांबा गांव बसाया था, उस समय सुतिया मुंडा ही सूतियांबा गांव के राजा हुए थे। इसी गांव में स्थित मुड़हर पहाड़ को गढ़ का रूप मानकर सूतियांबा गढ़ बनाया था। जिसे उन्होंने छोटानागपुर की प्रथम राजधानी बनाई थी। यहीं से पूरे छोटानागपुर राज्य का संचालन किया जाता था।