Department of Santhali
झारखंड भाषिक संपदा की दृष्टिकोण से काफी संपन्न राज्य है। यहां पर तकरीबन 15 स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं। संथाल समुदाय की भाषा को संथाली कहा जाता है। झारखंड में संथाल जनजातियों की संख्या सबसे अधिक है। संथाली भाषा प्रोटोऑस्ट्रोलॉयड परिवार के अंतर्गत आता है। यह बहुत प्राचीन और समृद्ध भाषा है। इस भाषा का अध्यापन होना संथाल भाषा के लिए गौरव की बात है। गोस्सनर कॉलेज की स्थापना 01 नवंबर 1971 को हुई। यह कॉलेज राँची विश्वविद्यालय राँची के अंतर्गत संचालित है। इस कॉलेज में स्थापना काल से झारखंड की जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई प्रारंभ की गयी। इसी कड़ी में वर्तमान में आठवीं अनुसूची में शामिल संथाली भाषा की पढ़ाई भी प्रारंभ की गयी। यह संथाली भाषा के लिए गौरव की ही बात है कि गोस्सनर कॉलेज में इस भाषा की पढ़ाई की जाती है। सबसे पहले रेव्ह. जे.एच. बास्की ने संथाली भाषा को पढ़ाना प्रारंभ किया। तत्पश्चात हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. एस्थेर रानी टुडू ने लंबे समय तक संथाली विभाग में अपना योगदान दिया। इसके बाद डॉ. अनिमा हांसदा बतौर स्थायी फैकल्टी के रूप में 01 अक्टूबर 2007 ई. सें संथाली विभाग में योगदान दिया। तत्पश्चात 2021 में झारखंड लोक सेवा आयोग की सदस्य नियुक्त की गयीं। उसके बाद डॉ. अनिमा हांसदा 01 सितंबर 2021 से सपमद में हैं। डॉ. अनिमा हांसदा का जेपीएससी मेंबर बनना न सिर्फ संथाली भाषा और विभाग के लिए अपितु गोस्सनर कॉलेज के लिए गौरव की बात है।