Department of Kurukh
कुॅडुख भाषा साहित्य का उदभव प्रकृति की गोद में हुआ है। नदी-नाला, पहाड़-पर्वत, झरने, प्राकृतिक वादियों से ही कुॅडुख भाषा संस्कृति पल्लवित पुष्पित एवं सुभाषित है। भाषा संस्कृति की संवाहक होती है और साहित्य उसका सौन्दर्य शास्त्र होता है। द्रविड़ परिवार की भाषा कुॅडुख जिसका साहित्य काफी समृद्ध है। काॅलेज के स्थापना काल से ही गोस्सनर काॅलेज, राँची में कुॅडुख भाषा का पठन-पाठन कार्य चल रहा है। भाषा का अध्ययन अर्थात संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाज, इतिहास आदि का अध्ययन करना है। कुॅडुख भाषा के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए कुॅडुख विभाग खोली गई है। सामाजिक दायित्व को निभाते हुए इसके लिए काम करने की आवश्यकता है तभी हमारी भाषा रूपी सम्पति जो विरासत में मिली है वह बच पायेगी।
गोस्सनर नम्हय कोहा लूरकुड़िया ओरमर गे चिई लूर बुद्धि धी पुड़िया
कुॅडुख कत्था गही टूड़ना-बचना नलख इसानिम मंजा ओरे जगावअना घी अलख
अखऊ बल्लु ओरमर टूडा-पाड़ा तबे परदो ओन्टे बड़ियर डाड़ा
कुॅडुख कत्थन टूड़ोत बचओत होले नम्हय खेडहन बडियर कमओत होले
नम्हय पुरखर गही चिच्चका खुरजी बछरोओ नाम बछरोओत नम्हय खोड़हा हुँ खोड़रोओ।